सारण (बिहार): एशिया का सबसे बड़ा और ऐतिहासिक पशु मेला — सोनपुर मेला 2025 — इस बार 9 नवंबर से शुरू होकर 10 दिसंबर 2025 तक चलेगा। कार्तिक पूर्णिमा पर लगने वाला यह प्रसिद्ध मेला हर साल श्रद्धालुओं, व्यापारियों और सैलानियों के लिए आकर्षण का केंद्र होता है।
इस बार का आयोजन कई मायनों में खास रहने वाला है। चुनावी कार्यक्रमों के कारण मेले की तारीख में बदलाव हुआ है, लेकिन उत्साह में कोई कमी नहीं दिख रही। गंगा और गंडक नदी के संगम स्थल पर लगने वाला यह मेला धार्मिक आस्था, परंपरा और व्यापार का अद्भुत संगम है।
क्यों लगता है सोनपुर मेला?
सोनपुर मेले की परंपरा मौर्य काल से जुड़ी बताई जाती है। कहा जाता है कि चंद्रगुप्त मौर्य के शासनकाल में यह मेला पशु-व्यापार का प्रमुख केंद्र हुआ करता था।
कार्तिक पूर्णिमा पर श्रद्धालु गंगा-गंडक संगम में स्नान करते हैं और भगवान हरिहरनाथ मंदिर में पूजा अर्चना करते हैं। धार्मिक आस्था के साथ यह मेला व्यापार और मनोरंजन का भी एक बड़ा अवसर बन गया है।
क्या खास रहेगा इस बार?
इस साल सोनपुर मेले में कई नए आकर्षण जोड़े जा रहे हैं —
अयोध्या के राम मंदिर का भव्य मॉडल लगाया जाएगा, जो श्रद्धालुओं के लिए खास आकर्षण रहेगा।
पशु बाजार में घोड़े, गाय, बैल और ऊंटों की खरीद-फरोख्त होगी।
हालांकि हाथियों की बिक्री पर कानूनी रोक है, लेकिन उनकी सजावट और प्रदर्शन दर्शकों को आकर्षित करेंगे।
लोक-संगीत, झूले, नाटक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन हर शाम होगा।
बिहार पर्यटन विभाग की ओर से पर्यटक मंडप, फूड जोन और सेल्फी पॉइंट की भी व्यवस्था की गई है।
कहाँ लगता है मेला?
मेला स्थल बिहार के सारण जिले के सोनपुर में स्थित है, जहाँ गंगा और गंडक नदियाँ मिलती हैं। सोनपुर रेलवे स्टेशन से मेला परिसर तक विशेष रास्ते और सुरक्षा व्यवस्था की गई है।
यात्रियों के लिए विशेष सुझाव
भीड़भाड़ को देखते हुए पहले से ठहरने की बुकिंग करें।
आरामदायक कपड़े और जूते पहनें, क्योंकि मेला क्षेत्र काफी बड़ा है।
रात के समय मनोरंजन कार्यक्रम देखने का मौका न चूकें।
धार्मिक स्नान के दौरान सुरक्षा नियमों का पालन करें।
इतिहास और महत्व
सोनपुर मेला सिर्फ एक व्यापारिक मेला नहीं, बल्कि बिहार की संस्कृति और पहचान का प्रतीक है। यह मेला धार्मिक, सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। हर साल लाखों की संख्या में देश-विदेश से लोग यहाँ आते हैं और बिहार की लोक-संस्कृति का अनुभव करते हैं।
सोनपुर मेला 2025 आस्था, परंपरा और व्यापार का मिलाजुला पर्व है। इस बार का आयोजन और भी भव्य होने वाला है — राम मंदिर मॉडल, सांस्कृतिक झलकियाँ और ऐतिहासिक महक इसे विशेष बनाएँगे। बिहार सरकार और पर्यटन विभाग की ओर से सभी तैयारियाँ जोरों पर हैं।
इस कार्तिक पूर्णिमा पर आइए सोनपुर, जहाँ इतिहास बोलता है, संस्कृति झूमती है और परंपरा जीवंत होती है।








